वो कौशल
भी नहीं है जो की शिव की तरह ज़हर को भी आत्मसात
कर उसे परावर्तित कर अम्रत में तब्दील कर दे – जो की परमार्थ में जन – जन को प्रशाद स्वरूप वितरित किया जा सके !
पर उनकी माँ जानती हैं , इसीलिए रोया करती हैं – शायद !
" The Problems That Exist in The World Today
Can Not Be Solved By The Level of Thinking That Created Them "
"ALBERT EINSTEIN"
AGASTYA NARAIN SHUKLA
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